खामोशियाँ...!!!
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ऑस्कर पिस्टोरियस” और “लांस आर्मस्ट्रांग” दोनों से हमारा काफी गहरा जुडाव था…दोनों खेल के रत्न थे…पर जिंदगी की कसौटी को खेल की बुनियाद कहा तक सम्हालेगी…!!!
आदर्श और उनके पदचिन्हों को पकड़ के चलने की परंपरा अब लगता हैं खत्म कर देनी चाहिए…जब आइकॉन ही ऐसे करतूत करेंगे तो…आम आदमी से क्या अपेक्षा की जाए…!!!
बड़ी भोर में अकेले निकल गया…
मैं भला आदमी ढूढने..!!!
कौन मदद करे मेरी…
सूरज आँख मीज रहा…
सितारे सामान सैन्हार रहे…!!!
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